हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी न दीजिये
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी न दीजिये
तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया
चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो
मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्रं भक्ति दीजिये
तेरा नाम सुमिरन मुख करे कानों से सुनता रहूँ
करने को समर्पित पुष्प मैं हाथों से चुनता रहूँ
जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ
ऐसी कृपा कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ
कविता ,आलेख और मैं
Play with words to express Feelings & experiences of Life.
गुरुवार, 3 मार्च 2022
शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022
सपनो में सूरत
सपनो में सूरत
आँखों में जो सपने थे सपनों में जो सूरत थी
नजरें जब मिली उनसे बिलकुल बैसी मूरत थी
जब भी गम मिला मुझको या अंदेशे कुछ पाए हैं
बिठा के पास अपने उन्होंने अंदेशे मिटाए हैं
उनका साथ पाकर के तो दिल ने ये ही पाया है
अमाबस की अँधेरी में ज्यों चाँद निकल पाया है
जब से मैं मिला उनसे दिल को यूँ खिलाया है
अरमां जो भी मेरे थे हकीकत में मिलाया है
बातें करनें जब उनसे हम उनके पास हैं जाते
चेहरे पे जो रौनक है उनमें हम फिर खो जाते
ये मजबूरी जो अपनी है हम उनसे बच नहीं पाते
देखे रूप उनका तो हम बाते कर नहीं पाते
बिबश्ता देखकर मेरी सब कुछ वो समझ जाते
आँखों से ही करते हैं अपने दिल की सब बातें
काब्य प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
मंगलवार, 28 अगस्त 2018
प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है
प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है
प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए है सभी
प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है
प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है
प्यार से अपना जीवन सभारों जरा ,प्यार से रहकर हर पल गुजारो जरा
प्यार से मंजिल पाना है मुश्किल नहीं , इन बातों से बिलकुल न इंकार है
प्यार के किस्से हमको निराले लगे ,बोलने के समय मुहँ में ताले लगे
हाल दिल का बताने जब हम मिले ,उस समय को हुयें हम लाचार हैं
प्यार से प्यारे मेरे जो दिलदार है ,जिनके दम से हँसीं मेरा संसार है
उनकी नजरो से नजरें जब जब मिलीं,उस पल को हुए उनके दीदार हैं
प्यार जीवन में खुशियाँ लुटाता रहा ,भेद आपस के हर पल मिटाता रहा
प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है ,उस कहानी का मदन एक किरदार है
प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है
मदन मोहन सक्सेना
सोमवार, 7 मई 2018
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम
दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से
दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम पर
दोस्तों के बीच में हम जी रहे थे भूल से
बँट गयी सारी जमी फिर बँट गया ये आसमान
अब खुदा बँटने लगा है इस तरह की तूल से
सेक्स की रंगीनियों के आज के इस दौर में
स्वार्थ की तालीम अब मिलने लगी स्कूल से
आगमन नए दौर का आप जिस को कह रहे
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
चार पल की जिंदगी में चाँद सांसो का सफ़र
मिलना तो आखिर है मदन इस धरा की धूल से
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
मदन मोहन सक्सेना
दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से
दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम पर
दोस्तों के बीच में हम जी रहे थे भूल से
बँट गयी सारी जमी फिर बँट गया ये आसमान
अब खुदा बँटने लगा है इस तरह की तूल से
सेक्स की रंगीनियों के आज के इस दौर में
स्वार्थ की तालीम अब मिलने लगी स्कूल से
आगमन नए दौर का आप जिस को कह रहे
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
चार पल की जिंदगी में चाँद सांसो का सफ़र
मिलना तो आखिर है मदन इस धरा की धूल से
आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से
मदन मोहन सक्सेना
बुधवार, 11 अप्रैल 2018
ग़ज़ल (किस ज़माने की बात करते हो )
किस ज़माने की बात करते हो
रिश्तें निभाने की बात करते हो
अहसान ज़माने का है यार मुझ पर
क्यों राय भुलाने की बात करते हो
जिसे देखे हुए हो गया अर्सा मुझे
दिल में समाने की बात करते हो
तन्हा गुजरी है उम्र क्या कहिये
जज़्बात दबाने की बात करते हो
गर तेरा संग हो गया होता "मदन "
जिंदगानी लुटाने की बात करते हो
ग़ज़ल (किस ज़माने की बात करते हो )
मदन मोहन सक्सेना
बुधवार, 4 अप्रैल 2018
अमन चैन से रहने बाले दंगे से दो चार हुए
कुर्सी और वोट की खातिर काट काट के सूबे बनते
नेताओं के जाने कैसे कैसे , अब ब्यबहार हुए
दिल्ली में कोई भूखा बैठा, कोई अनशन पर बैठ गया
भूख किसे कहतें हैं नेता उससे अब दो चार हुए
नेता क्या अभिनेता क्या अफसर हो या साधू जी
पग धरते ही जेल के अन्दर सब के सब बीमार हुए
कैसा दौर चला है यारों गंदी हो गयी राजनीती अब
अमन चैन से रहने बाले दंगे से दो चार हुए
दादी को नहीं दबा मिली और मुन्ने का भी दूध खत्म
कर्फ्यू में मौका परस्त को लाखों के ब्यापार हुए
तिल का ताड़ बना डाला क्यों आज सियासतदारों ने
आज बापू तेरे देश में, कैसे -कैसे अत्याचार हुए
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई भाई
ख्बाजा और साईं के घर में बातें क्यों बेकार हुए
अमन चैन से रहने बाले दंगे से दो चार हुए
मदन मोहन सक्सेना
नेताओं के जाने कैसे कैसे , अब ब्यबहार हुए
दिल्ली में कोई भूखा बैठा, कोई अनशन पर बैठ गया
भूख किसे कहतें हैं नेता उससे अब दो चार हुए
नेता क्या अभिनेता क्या अफसर हो या साधू जी
पग धरते ही जेल के अन्दर सब के सब बीमार हुए
कैसा दौर चला है यारों गंदी हो गयी राजनीती अब
अमन चैन से रहने बाले दंगे से दो चार हुए
दादी को नहीं दबा मिली और मुन्ने का भी दूध खत्म
कर्फ्यू में मौका परस्त को लाखों के ब्यापार हुए
तिल का ताड़ बना डाला क्यों आज सियासतदारों ने
आज बापू तेरे देश में, कैसे -कैसे अत्याचार हुए
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई भाई
ख्बाजा और साईं के घर में बातें क्यों बेकार हुए
अमन चैन से रहने बाले दंगे से दो चार हुए
मदन मोहन सक्सेना
सोमवार, 26 फ़रवरी 2018
दुआओं का असर होता दुआ से काम लेता हूँ
हुआ इलाज भी मुश्किल ,नहीं मिलती दबा असली
दुआओं का असर होता दुआ से काम लेता हूँ
मुझे फुर्सत नहीं यारों कि माथा टेकुं दर दर पे
अगर कोई डगमगाता है उसे मैं थाम लेता हूँ
खुदा का नाम लेने में क्यों मुझसे देर हो जाती
खुदा का नाम से पहले ,मैं उनका नाम लेता हूँ
मुझे इच्छा नहीं यारों कि मेरे पास दौलत हो
सुकून हो चैन हो दिल को इसी से काम लेता हूँ
सब कुछ तो बिका करता मजबूरी के आलम में
मैं सांसों के जनाज़े को सुबह से शाम लेता हूँ
सांसे है तो जीवन है तभी है मूल्य मेहनत का
जितना हो जरुरी बस उसी का दाम लेता हूँ
दुआओं का असर होता दुआ से काम लेता हूँ
मदन मोहन सक्सेना
मंगलवार, 30 जनवरी 2018
क्या मदन ये सारी दुनिया है बिरोधाभास की
नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो
नापने को कह रहे हमसे वो दूरियाँ आकाश की
आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में
दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की
बँट गयी सारी जमी ,फिर बँट गया ये आसमान
क्यों आज फिर हम बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की
इस कदर भटकें हैं युबा आज के इस दौर में
खोजने से मिलती नहीं अब गोलियां सल्फ़ास की
हर जगह महफ़िल सजी पर दर्द भी मिल जायेगा
अब हर कोई कहने लगा है आरजू बनवास की
मौत के साये में जीती चार पल की जिंदगी
क्या मदन ये सारी दुनिया है बिरोधाभास की
क्या मदन ये सारी दुनिया है बिरोधाभास की
मदन मोहन सक्सेना
शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017
संग साथ की हार हुई और तन्हाई की जीत हो रही
पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है
जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुबिधाओं की जीत हो रही
साझा करने को ना मिलता , अपने गम में ग़मगीन हैं
स्वार्थ दिखा जिसमें भी यारों उससे केवल प्रीत हो रही
कहने का मतलब होता था ,अब ये बात पुरानी है
जैसा देखा बैसी बातें .जग की अब ये रीत हो रही
अब खेलों में है राजनीति और राजनीति ब्यापार हुई
मुश्किल अब है मालूम होना ,किस से किसकी मीत हो रही
क्यों अनजानापन लगता है अब, खुद के आज बसेरे में
संग साथ की हार हुई और तन्हाई की जीत हो रही
संग साथ की हार हुई और तन्हाई की जीत हो रही
मदन मोहन सक्सेना
गुरुवार, 7 दिसंबर 2017
खुद को भुलाने लगा आजकल हूँ
सपने सजाने लगा आजकल हूँ
मिलने मिलाने लगा आज कल हूँ
हाबी हुयी शख्शियत मुझ पर उनकी
खुद को भुलाने लगा आजकल हूँ
इधर तन्हा मैं था उधर तुम अकेले
किस्मत ,समय ने क्या खेल खेले
गीत ग़ज़लों की गंगा तुमसे ही पाई
गीत ग़ज़लों को गाने लगा आजकल हूँ
जिधर देखता हूँ उधर तू मिला है
ये रंगीनियों का गज़ब सिलसिला है
नाज क्यों ना मुझे अपने जीवन पर हो
तुमसे रब को पाने लगा आजकल हूँ
खुद को भुलाने लगा आजकल हूँ
मदन मोहन सक्सेना
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