ख्बाबों का आसमान
मैं
एक युबा
छूना चाहती हूँ
ख्बाबों का आसमान
किन्तु
मेरे सपनों के बीच
कभी शिक्षक
कभी न्यायधीश
तो कभी राजनेता
कभी तथाकथित संत
कभी पत्रकार
मेरे बजूद को
तार तार करने का
कोई मौका नहीं छोड़ते।
अब मैंने भी प्राण ले लिया है कि
उन सबकी इज्जत को
समाज में मिटटी में मिला दूंगी
जो मेरे से
किसी भी तरह
नाइंसाफी करेगा।
मैं
एक युबा
छूना चाहती हूँ
ख्बाबों का आसमान
किन्तु
मेरे सपनों के बीच
कभी शिक्षक
कभी न्यायधीश
तो कभी राजनेता
कभी तथाकथित संत
कभी पत्रकार
मेरे बजूद को
तार तार करने का
कोई मौका नहीं छोड़ते।
अब मैंने भी प्राण ले लिया है कि
उन सबकी इज्जत को
समाज में मिटटी में मिला दूंगी
जो मेरे से
किसी भी तरह
नाइंसाफी करेगा।