शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

ख्बाबों का आसमान

ख्बाबों का आसमान 



मैं 
एक युबा 
छूना चाहती हूँ 
ख्बाबों का आसमान 
किन्तु 
मेरे सपनों के बीच 
कभी शिक्षक
कभी न्यायधीश 
तो कभी राजनेता 
कभी तथाकथित संत 
कभी पत्रकार 
मेरे बजूद को 
तार तार करने का 
कोई मौका नहीं छोड़ते।
अब मैंने भी प्राण ले लिया है कि 
उन सबकी इज्जत को
समाज में मिटटी में मिला दूंगी 
जो मेरे से 
किसी भी तरह 
नाइंसाफी करेगा।