नज़रों ने नज़रों से नजरें मिलायीं प्यार मुस्कराया और प्रीत मुस्कराई प्यार के तराने जगे गीत गुनगुनाने लगे फिर मिलन की ऋतू आयी भागी तन्हाई दिल से फिर दिल का करार होने लगा खुद ही फिर खुद से क्यों प्यार होने लगा नज़रों ने नज़रों से नजरें मिलायीं प्यार मुस्कराया और प्रीत मुस्कराई प्रस्तुति: मदन मोहन सक्सेना
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको... सादर वन्दे...
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