प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी पोस्ट बिरह के अहसास जागरण जंक्शन में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .
Dear User,
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बिरह के अहसास
कहतें हैं कि सच्चा प्यार बहुत मुश्किल से मिलता है और प्यार से प्यारे दिलदार का साथ बना रहे ये और भी मुश्किल होता है . प्यार की असली पहचान तो बिरह में ही होती है बरना संग साथ में समय कब गुजर जाता है मालूम ही नहीं चलता है . समय का फेर बोले या फिर किस्मत का फ़साना या कुछ और
बिरह के कुछ अहसासों को ब्यक्त करती प्रेम कवितायेँ .
(एक )
जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है
कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है
भरी दुनियां में बिन तेरे नहीं कोई सहारा है
मुक्कद्दर आज रूठा है और किस्मत आजमाती है
नहीं अब चैन दिल को है न मुझको नींद आती है..
कदम बहकें हैं अब मेरे ,हुआ चलना भी मुश्किल है
ये मौसम है बहारों का , रोता आज ये दिल है
ना कोई अब खबर तेरी ,ना मिलती आज पाती है
हालत देखकर मेरी ये दुनिया मुस्कराती है
बहुत मुश्किल है ये कहना किसने खेल खेला है
उधर तन्हा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है
पाकर के तन्हा मुझको उदासी पास आती है
सुहानी रात मुझको अब नागिन सी डराती है
( दो )
देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया
जमाना हमसे ये बोला की बसंत माह क्यों नहीं आया
बसंत माह गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला मालूम
कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ नहीं मालूम
पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो
बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो
जीवितं है तो जीने का मजा सब लोग ले सकते
जीवितं रहके, मरने का मजा हमसे जरा पूछो
रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम जरा पूछो
खुदा की बंदगी करके अपनी मन्नत पूरी सब करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
तमन्ना सबकी रहती है, की जन्नत उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो
सांसों के जनाजें को, तो सबने जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
मदन मोहन सक्सेना
कहतें हैं कि सच्चा प्यार बहुत मुश्किल से मिलता है और प्यार से प्यारे दिलदार का साथ बना रहे ये और भी मुश्किल होता है . प्यार की असली पहचान तो बिरह में ही होती है बरना संग साथ में समय कब गुजर जाता है मालूम ही नहीं चलता है . समय का फेर बोले या फिर किस्मत का फ़साना या कुछ और
बिरह के कुछ अहसासों को ब्यक्त करती प्रेम कवितायेँ .
(एक )
जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है
कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है
भरी दुनियां में बिन तेरे नहीं कोई सहारा है
मुक्कद्दर आज रूठा है और किस्मत आजमाती है
नहीं अब चैन दिल को है न मुझको नींद आती है..
कदम बहकें हैं अब मेरे ,हुआ चलना भी मुश्किल है
ये मौसम है बहारों का , रोता आज ये दिल है
ना कोई अब खबर तेरी ,ना मिलती आज पाती है
हालत देखकर मेरी ये दुनिया मुस्कराती है
बहुत मुश्किल है ये कहना किसने खेल खेला है
उधर तन्हा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है
पाकर के तन्हा मुझको उदासी पास आती है
सुहानी रात मुझको अब नागिन सी डराती है
( दो )
देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया
जमाना हमसे ये बोला की बसंत माह क्यों नहीं आया
बसंत माह गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला मालूम
कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ नहीं मालूम
पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो
बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो
जीवितं है तो जीने का मजा सब लोग ले सकते
जीवितं रहके, मरने का मजा हमसे जरा पूछो
रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम जरा पूछो
खुदा की बंदगी करके अपनी मन्नत पूरी सब करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
तमन्ना सबकी रहती है, की जन्नत उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो
सांसों के जनाजें को, तो सबने जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
मदन मोहन सक्सेना
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (19.02.2016) को वैकल्पिक चर्चा मंच अंक-3)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar... :-)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....
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