(सांसों के जनाजें को तो सब ने जिंदगी जाना) जागरण जंक्शन में प्रकाशित हुयी है , बहुत बहुत आभार जागरण जंक्शन टीम। आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .
Dear User,
Your सांसों के जनाजें को तो सव ने जिंदगी जाना has been featured on Jagran Junction
Click Here to visit your blog : मैं, लेखनी और जिंदगी
Thanks!
JagranJunction Team
Your सांसों के जनाजें को तो सव ने जिंदगी जाना has been featured on Jagran Junction
Click Here to visit your blog : मैं, लेखनी और जिंदगी
Thanks!
JagranJunction Team
http://madansbarc.jagranjunction.com/2016/07/25/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%A4%E0%A5%8B-%E0%A4%B8%E0%A4%B5-%E0%A4%A8/
देखा जब नहीं उनको और हमने गीत ना गाया
जमाना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया
फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला मालूम
कहा हमने ज़माने से कि हमको कुछ नहीं मालूम
पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो
बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो
जीवित है तो जीने का मजा सब लोग ले सकते
जीवित रहके, मरने का मजा हमसे जरा पूछो
रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम जरा पूछो
खुदा की बंदगी करके मन्नत पूरी सब करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
तमन्ना सबकी रहती है जन्नत उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो
सांसों के जनाजें को तो सव ने जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो
सांसों के जनाजें को तो सव ने जिंदगी जाना
मदन मोहन सक्सेना