सड़क पर एक महिला की लाश.
बेबस घायल बच्चा
और अपनी किस्मत पर रोते उसके पिता को.. !
और देखा मंहगी गाड़ी
जो पास से गुजर रही थी
और उन में बैठे दो कौड़ी की औकात वाले
अपने की इंसान कहने वाले
समाज के लोगों को !
देखा
बस में से झांकते लोगो को
जो सिर्फ नाटक देखने और तालियाँ पीटने की ट्रेनिग लेते हैं बड़े बड़े आदर्शो से
जिनमे कभी कभी मैं खुद भी होता हूँ !
और देखा.. मरती हुई इंसानियत को
बहते हुए भावनाओं के खून को.. !
बहुत दर्द हुआ
आखिर क्यों
आज का मानब इतना स्वार्थी हो गया है
आखिर क्यों.
मदन मोहन सक्सेना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
आज का मानव बहुत स्वार्थी हो गया है
जवाब देंहटाएंRECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
मानवीयता ही नहीं, बस नाम का मानव!
जवाब देंहटाएंसब आत्म केन्द्रित स्वार्थी लोग है
जवाब देंहटाएंlatest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ
आज मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि मानवता को भी शर्म आने लगी है....बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंयदि हर एक व्यक्ति दूसरों से अपेक्षा छोड़ स्वयं मे एक अच्छा 'इंसान' बनने की ठान ले तो शायद कुछ सुधारोन्मुख हुआ जा सकता है।
जवाब देंहटाएंईश्वर हमें 'मनुष्य' बनाये रखे बस!
सादर
आज कलयुग में कोई किसी की मदद नहीं करता हुज़ूर | बढ़िया प्रस्तुति | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सुन्दर कटाक्ष। सच में मानव इतना स्वार्थी और दयाहीन कैसे हो गया!!
जवाब देंहटाएंनये लेख : "चाय" - आज से हमारे देश का राष्ट्रीय पेय।
भारतीय रेलवे ने पूरे किये 160 वर्ष।