सजा क्या खूब मिलती है , किसी से दिल लगाने की
तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की
हर पल याद रहती है , निगाहों में बसी सूरत
तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की
उम्मीदों का काजल जब से आँखों में लगाया है
कोशिश पूरी रहती है , पत्थर से प्यार पाने की
अरमानो के मेले में जब ख्बाबो के महल टूटे
बारी तब फिर आती है , अपनों को आजमाने की
मर्जे इश्क में अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
जीने पर हुआ करती है ख्बहिश मौत पाने की
ग़ज़ल
मदन मोहन सक्सेना
सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय जी ,सादर अभिवादन ! प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ ! सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत है !!
हटाएंदुश्मनों से प्यार होता जायेगा...
जवाब देंहटाएंदोस्तों को आज़माते जाइये...
आदरणीय जी ,सादर अभिवादन ! प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ ! सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत है !!
हटाएं♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
सजा क्या खूब मिलती है , किसी से दिल लगाने की
तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की
वाहवाह !
क्या बात है...
आदरणीय मदनमोहन सक्सेना जी !
कुछ और चमक लाने का प्रयास करें ...
शानदार ग़ज़लकार बनने की पूरी गुंजाइश है
:)
आपकी लेखनी से सदैव सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो - यही कामना है …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
◄▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼►
Thanks a Lot for feedback. I would like to know how better i can do,suggest in details. Thank you so much ,i am obliged for you being on this status !
हटाएंमर्जे इश्क में अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
जवाब देंहटाएंजीने पर हुआ करती है ख्बाहिश मौत पाने की.
बेहतरीन विचार. सुंदर प्रस्तुति.
Thanks Rachnaji.
हटाएं