दिल के पास
ऐसे कुछ अहसास होते हैं ,हर इंसान के जीवन में
भले मुद्दत गुजर जाये , बे दिल के पास होते हैं
जो दिल कि बात सुनता है बही दिलदार है यारों
दौलत बान अक्सर तो असल में दास होते हैं
अपनापन लगे जिससे बही तो यार अपना है
आजकल तो स्वार्थ सिद्धि में रिश्ते नाश होते हैं
धर्म अब आज रुपया है कर्म अब आज रुपया है
जीवन के खजानें अब, क्यों सत्यानाश होते हैं
समय रहते अगर चेते तभी तो बात बनती है
बरना नरक है जीबन , पीढ़ियों में त्रास होते हैं
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
ऐसे कुछ अहसास होते हैं ,हर इंसान के जीवन में
जवाब देंहटाएंभले मुद्दत गुजर जाये , बे दिल के पास होते हैं
अच्छी प्रस्तुति मदन मोहन सक्सेना जी। भाव को अच्छी तरह बांधा है अर्थ भी दिए हैं समाज की विसंगतियों से उठाकर। आभार आपकी टिपण्णी का।
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