रविवार, 28 जून 2015

ये जीबन यार ऐसा ही




ये जीबन यार ऐसा ही ,ये दुनियाँ यार ऐसी ही
संभालों यार कितना भी आखिर छूट जाना है

सभी बेचैन रहतें हैं ,क्यों मीठी बात सुनने को
सच्ची बात कहने पर फ़ौरन रूठ जाना है

समय के साथ बहने का मजा कुछ और है प्यारे
बरना, रिश्तें काँच से नाजुक इनको टूट जाना है

रखोगे हौसला प्यारे तो हर मुश्किल भी आसां है
अच्छा भी समय गुजरा बुरा भी फूट जाना है

मदन मोहन सक्सेना

4 टिप्‍पणियां:

  1. सच कोई सुन जो नहीं सकता ...
    बहुत सुन्दर बात कही है ...

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  2. बहुत सही है सब मीठा खाना चाहते हैं कड़वा नहीं
    सच सदा कटु लगता है |

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  3. सच ही है जब अच्छा समय नहीं रुका तो बुरा भी नहीं रुकेगा

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  4. सभी बेचैन रहतें हैं ,क्यों मीठी बात सुनने को
    सच्ची बात कहने पर फ़ौरन रूठ जाना है
    ...बिलकुल सच कहा है...बहुत सुन्दर

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