बीसबीं सदी के पुर्बाध में
जब हमारें पुर्बजों ने
भबिष्य की आबश्यक्तायों की पूर्ति के लिए
अपने देश में आयत करके
भ्रष्टाचार का एक बीज रोपा था
इस बिश्बास के साथ कि
आगे आने बाले समय में
नयी पीढ़ियों का जीवन सुखद सरल एबम सफल होगा
किन्तु इस आशंका से
बे भयाक्रांत ब्याकुल एबम चिंतित थे
धर्मनिरपेछ्ता ,सदाचार ,साम्प्रदयिक सदभाब
कर्तब्यनिष्टा ,देशप्रेम,नामक घातक प्रहारों से
निति निर्माताओं, रहनुमाओं एबम राजनेताओं के द्वारा
उसकी असामयिक हत्या ना कर दी जाये
किन्तु उनकी ये आशंका
निर्मूल ,निरर्थक ,बेअसर साबित हुयी
जब बीसबीं सदी के उतरार्ध में
उनके बच्चों ने जिसमें
चिकित्सक ,अध्यापक ,एबम राजनेता
लेखक पत्रकार और अभिनेता
बैज्ञानिक ,धर्मगुरु ,क्रेता बिक्रेता
सभी ने एक साथ मिलकर
अपने अथक प्रयासों से
बृक्ष के फलने फूलने में बराबर का योगदान दिया
आज कल हम सब ने
घृणा स्वार्थ नफ़रत हिंसा एबम दहशत का बाताबरण
तैयार कर के
हत्या ,राहजनी एबम लूटपाट
अपहरण ,आतंकबाद और मारकाट नामक
उत्प्रेरकों कि उपस्थिति से
आर डी एक्स ,ऐ के सैतालिस नामक
उन्नत तकनीकी सयंत्रों के सयोंग से
धर्म ,शिक्षा, राजनीतिएबम खेलों में
भ्रष्टाचार के पौधे को चरम सीमा तक
पुष्पित पल्लिबत होने दिया है
हमें बिश्बास है कि
ईकीसबी सदी में भी
हमारे बच्चे पूरी कोशिश करेंगें
ताकि येबृक्ष फलता फूलता रहे
और अगर इसी तरह से ये कोशिश जारी रही
तो बह दिन दूर नहीं
जब गली -गली , शहर- शहर ,घर -घर में
इसका युद्ध स्तर पर ब्यब सायिक उत्पादन शुरू होगा
और उस दिन हम ,तब
भ्रष्टाचार के फल फूल बीज को
पुरे संसार में निर्यात कर सकेंगें
उस पल पूरा संसार
भ्रष्टाचार को पाने के लिए
आश्रित रहेगा
हम पर और सिर्फ हम पर
और
ओलम्पिक के खेलो में
गोल्ड मैडल अपना पक्का होने बाला है
खेल ओलंपिक और हम
मदन मोहन सक्सेना