हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव को बिनम्र श्रद्धांजली
भगबान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिबार को दुःख कि इस काल में धैर्य दें।
हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव का सोमवार देर रात निधन हो गया. वह 85 साल के थे.28 अगस्त 1929 को आगरा में जन्मे यादव की गिनती चोटी के लेखकों में होती
रही है। वह मुंशी प्रेमचंद की पत्रिका हंस का 1986 से संपादन करते रहे थे
जो हिन्दी की सर्वाधिक चर्चित साहित्यिक पत्रिका मानी जाती है और इसके
माध्यम से हिन्दी के नये लेखकों की एक नई पीढ़ी भी सामने आई और इस पत्रिका
ने दलित विमर्श और स्त्री विमर्श को भी स्थापित किया।
यादव के प्रसिद्ध उपन्यास सारा आकाश पर बासु चटर्जी ने एक फिल्म भी बनाई
थी। उनकी चर्चित कृतियों में जहां लक्ष्मी कैद है..,छोटे छोटे ताजमहल,
किनारे से किनारे तक, टूटना, ढोल जैसे कहानी संग्रह और उखड़े हुये लोग, शह
और मात, अनदेखे अनजान पुल तथा कुलटा जैसे उपन्यास भी शामिल है। उन्होंने
अपनी पत्नी मन्नू भंडारी के साथ एक इंच मुस्कान नामक उपन्यास भी लिखा।
यादव ने विश्व प्रसिद्ध लेखक चेखोव तुर्गनेव और अल्वेयरकामो जैसे लेखकों के
कृत्यों का भी अनुवाद किया था। यादव ने आगरा विश्वविद्यालय से एमए किया था
और वह कोलकता में भी काफी दिनों तक रहे। वह संयुक्त मोर्चा सरकार में
प्रसार भारती के सदस्य भी बनाये गये थे।
अपने लेखन में समाज के वंचित तबके और महिलाओं के
अधिकारों की पैरवी करने वाले राजेंद्र यादव प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद
की ओर से शुरू की गई साहित्यिक पत्रिका क्लिक करें
हंस का 1986 से संपादन कर रहे थे.
अक्षर प्रकाशन के बैनर तले उन्होंने इसका पुर्नप्रकाशन प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई 1986 से शुरू किया था.
प्रेत बोलते हैं (सारा आकाश), उखड़े हुए लोग, एक
इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ), अनदेखे अनजान पुल, शह और मात, मंत्रा
विद्ध और कुल्टा उनके प्रमुख उपन्यास हैं.
इसके अलावा उनके कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए
हैं. इनमें देवताओं की मृत्यु, खेल-खिलौने, जहाँ लक्ष्मी कैद है, छोटे-छोटे
ताजमहल, किनारे से किनारे तक और वहाँ पहुँचने की दौड़ प्रमुख हैं. इसके
अलावा उन्होंने निबंध और समीक्षाएं भी लिखीं.
आवाज़ तेरी के नाम से राजेंद्र यादव का 1960 में
एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हुआ था. चेखव के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य
विदेशी साहित्यकारों की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद भी किया था.
उनकी रचना सारा आकाश पर इसी नाम से एक फ़िल्म भी बनी थी.
राजेंद्र यादव ने कमलेश्वर और मोहन राकेश के साथ मिलकर हिंदी साहित्य में नई कहानी की शुरुआत की थी.
लेखिका मन्नू भंडारी के साथ राजेंद्र यादव का
विवाह हुआ था. उनकी एक बेटी हैं. उनका वैवाहिक जीवन बहुत लंबा नहीं रहा और
बाद में उन्होंने अलग-अलग रहने का फ़ैसला किया था.
हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव को बिनम्र श्रद्धांजली
भगबान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिबार को दुःख कि इस काल में धैर्य दें।