बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

सब एक जैसे


















फिर एक घोटाला 
फिर एक बार मीडिया में शोर 
फिर एक बार नेताओं की तू तू मैं मैं 
फिर एक बार सरकार की जाँच की बात 
फिर एक बार जाँच के बहाने  घोटाले को दबाने की साजिश 
फिर एक बार समिति का गठन 
फिर एक बार जनहित याचिका की उम्मीद 
फिर एक बार उच्चत्तम न्यायालय से  अपेछा 
फिर एक बार जनता का बुदबुदाना 
कि 
जाने दो 
सब एक जैसे हैं।

मदन मोहन सक्सेना . 


सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

ग़ज़ल







जिनका प्यार पाने में हमको ज़माने लगे
बह  अब नजरें मिला के   मुस्कराने लगे

राज दिल का कभी जो छिपाते थे हमसे
बातें  दिल की हमें बह बताने  लगे 

अपना बनाने को  सोचा  था जिनको
बह अपना हमें अब   बनाने लगे

जिनको देखे बिना आँखे रहती थी प्यासी
बह अब नजरों से हमको पिलाने लगे

जब जब देखा उन्हें उनसे नजरे मिली
गीत हमसे खुद ब खुद बन जाने लगे

प्यार पाकर के जबसे प्यारी दुनिया रचाई
क्यों हम दुनिया को तब से भुलाने लगे

गीत ग़ज़ल जिसने भी मेरे देखे या सुने
तब से शायर बह हमको बताने लगे

हाल देखा मेरा तो दुनिया बाले ये बोले
मदन हमको तो दुनिया से बेगाने लगे ...


ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना


 

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

ग़ज़ल सम्राट शत शत नमन






ग़ज़ल सम्राट  जगजीत सिंह के जन्मदिन पर उनको शत शत नमन .इस अबसर पर पेश है  आज एक अपनी पुरानी ग़ज़ल जिसे देख कर  खुद जगजीत सिंह जी ने संतोष ब्यक्त किया था . ये मेरे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं था।

कल  तलक लगता था हमको शहर ये जाना हुआ
इक  शख्श अब दीखता नहीं तो शहर ये बीरान है

बीती उम्र कुछ इस तरह कि खुद से हम न मिल सके
जिंदगी का ये सफ़र क्यों इस कदर अंजान है

गर कहोगें दिन  को दिन तो लोग जानेगें गुनाह 
अब आज के इस दौर में दिखते  नहीं इन्सान है

इक दर्द का एहसास हमको हर समय मिलता रहा
ये बक्त  की साजिश है या फिर बक्त  का एहसान है

गैर बनकर पेश आते, बक्त पर अपने ही लोग
अपनो की पहचान करना अब नहीं आसान है 

प्यासा पथिक और पास में बहता समुन्द्र देखकर 
जिंदगी क्या है मदन , कुछ कुछ हुयी पहचान है 

ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

ऐतवार






बोलेंगे  जो  भी  हमसे  बो ,हम ऐतवार कर  लेगें  
जो कुछ  भी उनको प्यारा  है ,हम उनसे प्यार कर  लेगें

बो  मेरे   पास  आयेंगे   ये  सुनकर  के   ही  सपनो  में 
क़यामत  से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें 

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है 
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें 

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बो हमको 
गर  अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पार कर लेगें

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना




मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

संगम





















 

संगम  पर लगे कुंभ की ओर सभी निगाहें जमी हुई है। 12 सालों पर लगने की वजह से ये सबके आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।पहले मॉडल पूनम पाण्डेय,  शिल्पा  शेट्टी, सुर्खियाँ बटोरने  कुम्भ गयीं और अब   राजनीतिक पार्टियां कहां इस मौके का फायदा उठाने से चूक सकती है। बीजेपी नेता पहले ही मौका भुना चुकें हैं  तो कांग्रेस भी इस मौके को नहीं चूकना चाहती हैं। इसी सबको देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी महाकुंभ में डुबकी लगाकर कांग्रेस की नैया को पार लगाने की कवायद में जुट गई है। शायद बहती गंगा में हाथ धोने का मुहाबरा इन सब लोगों की बजह से ही उपयोग में आया 


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

सोमवार, 28 जनवरी 2013

खेल






















जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है


कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है
भरी दुनियां में बिन तेरे नहीं कोई सहारा है


मुक्कद्दर आज रूठा है और किस्मत आजमाती है
नहीं अब चैन दिल को है न मुझको नींद आती है..


कदम बहकें हैं अब मेरे ,हुआ चलना भी मुश्किल है
ये मौसम है बहारों का , रोता आज ये दिल है


ना कोई अब खबर तेरी ,ना मिलती आज पाती है
हालत देखकर मेरी ये दुनिया मुस्कराती है


बहुत मुश्किल है ये कहना किसने खेल खेला है
उधर तन्हा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है


पाकर के तन्हा मुझको उदासी पास आती है
सुहानी रात मुझको अब नागिन सी डराती है


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

गणतंत्र दिबस













 







गणतंत्र दिबस के अबसर कबिता:

मेरा भारत महान
जय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान

गंगा यमुना सी नदियाँ हैं जो देश का मान  बढ़ाती हैं
सीता सावित्री सी देवी जो आज भी पूजी जाती हैं

यहाँ जाति धर्म का भेद नहीं सब मिलजुल करके रहतें हैं
गाँधी सुभाष टैगोर तिलक नेहरु का भारत कहतें हैं

यहाँ नाम का कोई जिक्र नहीं बस काम ही देखा जाता है
जिसने जब कोई काम किया बह ही सम्मान पाता है

जब भी कोई मिले आकर बो गले लगायें जातें हैं

जब  आन मान की बात बने तो शीश कटाए जातें हैं

आजाद भगत बिस्मिल रोशन बीरों की ये तो जननी है
प्रण पाला जिसका इन सबने बह पूरी हमको करनी है

मथुरा हो या काशी हो चाहें अजमेर हो या अमृतसर
सब जातें प्रेम भाब से हैं झुक जातें हैं सबके ही सर.
  
प्रस्तुति: 
मदन मोहन सक्सेना

सोमवार, 21 जनवरी 2013

प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है ,















 






रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सा
प्यार रा ये संसार है

प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए है सभी
प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

प्यार से अपना जीवन सभारों जरा ,प्यार से रहकर हर पल गुजारो जरा
प्यार से मंजिल पाना है मुश्किल नहीं , इन बातों से बिलकुल न इंकार है

प्यार के किस्से हमको निराले लगे ,बोलने के समय मुहँ में ताले लगे
हाल दिल का बताने जब हम मिले ,उस समय को हुयें हम लाचार हैं

प्यार से प्यारे मेरे जो दिलदार है ,जिनके दम से हँसीं मेरा संसार है
उनकी नजरो से नजरें जब जब मिलीं,उस पल को हुए उनके दीदार हैं

प्यार जीवन में खुशियाँ लुटाता रहा ,भेद आपस के हर पल मिटाता रहा
प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है ,उस कहानी का मदन एक किरदार है


मदन मोहन सक्सेना 
(सुन्दर हिंदी प्यारी हिंदी में प्रकाशित)