फिर एक घोटाला
फिर एक बार मीडिया में शोर
फिर एक बार नेताओं की तू तू मैं मैं
फिर एक बार सरकार की जाँच की बात
फिर एक बार जाँच के बहाने घोटाले को दबाने की साजिश
फिर एक बार समिति का गठन
फिर एक बार जनहित याचिका की उम्मीद
फिर एक बार उच्चत्तम न्यायालय से अपेछा
फिर एक बार जनता का बुदबुदाना
कि
जाने दो
सब एक जैसे हैं।
मदन मोहन सक्सेना .