बोलेंगे जो भी हमसे बो ,हम ऐतवार कर लेगें
जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें
बो मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में
क़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें
मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें
जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें
हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बो हमको
गर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पार कर लेगें
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
sundar bhav avm prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव लिए प्यारी गजल,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
Very nice!
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