सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

रहमत






रहमत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता..
खुशिया रहती दामन में और जीवन में अमन होता.

मर्जी बिन खुदा यारो तो   जर्रा हिल नहीं सकता 
खुदा जो रूठ जाये तो मय्यसर न कफ़न होता...

मन्नत पूरी करना है खुदा की बंदगी कर लो 
जियो और जीने दो खुशहाल जिंदगी कर लो 

मर्जी जब खुदा की हो तो पूरे अपने सपने हों
रहमत जब खुदा की हो तो बेगाने भी अपने हों 




प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    आभार आदरणीय ||

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  2. जीयो और जीने दो-बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

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  3. खुदा जाने ये कैसी रहगुजर है,किसकी तुर्बत है !
    वो गुजरे इधर से,गिर पड़े दो फूल दामन से ....


    Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,

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  4. यह रहमत हम सब पर बनी रहे यही दुआ है !


    आज की ब्लॉग बुलेटिन १९ फरवरी, २ महान हस्तियाँ और कुछ ब्लॉग पोस्टें - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. ईश्वर-वंदना के लिए सुन्दर शब्द भाव... शुभकामनाएँ.

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  6. बहुत बढ़िया...
    सुन्दर भाव......

    सादर
    अनु

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  7. मन्नत पूरी करना है खुदा की बंदगी कर लो
    जियो और जीने दो खुशहाल जिंदगी कर लो ..

    उसकी बंदगी कर ली तो सब कुछ अपने आप ही मिल जाता है ...
    जीवन सच में खुशहाल हो जाता है ...

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  8. सच रहमत हो तो सबकुछ अच्छा ही होता है ...चलता रहता है ..
    ॐ जय साईं!!

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