खुशिया रहती दामन में और जीवन में अमन होता.
मर्जी बिन खुदा यारो तो जर्रा हिल नहीं सकता
खुदा जो रूठ जाये तो मय्यसर न कफ़न होता...
मन्नत पूरी करना है खुदा की बंदगी कर लो
जियो और जीने दो खुशहाल जिंदगी कर लो
मर्जी जब खुदा की हो तो पूरे अपने सपने हों
रहमत जब खुदा की हो तो बेगाने भी अपने हों
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
खूबसूरत भाव.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय ||
जीयो और जीने दो-बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंखुदा जाने ये कैसी रहगुजर है,किसकी तुर्बत है !
जवाब देंहटाएंवो गुजरे इधर से,गिर पड़े दो फूल दामन से ....
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
यह रहमत हम सब पर बनी रहे यही दुआ है !
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन १९ फरवरी, २ महान हस्तियाँ और कुछ ब्लॉग पोस्टें - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ईश्वर-वंदना के लिए सुन्दर शब्द भाव... शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव......
सादर
अनु
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमन्नत पूरी करना है खुदा की बंदगी कर लो
जवाब देंहटाएंजियो और जीने दो खुशहाल जिंदगी कर लो ..
उसकी बंदगी कर ली तो सब कुछ अपने आप ही मिल जाता है ...
जीवन सच में खुशहाल हो जाता है ...
सच रहमत हो तो सबकुछ अच्छा ही होता है ...चलता रहता है ..
जवाब देंहटाएंॐ जय साईं!!