मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र ,तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर ,मुझे सिर्फ तेरी तलाश है
मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसाश है
तेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की न ख़बर
मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है ना पास है
ये तो हर किसी का खयाल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
कैसें कहूं तेरी अहमियत, मेरी जिंदगी में खास है
तेरी झुल्फ जब लहरा गयीं , काली घटायें छा गयीं
हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
सादर नमन -
जवाब देंहटाएंआदरणीय मदन जी-
सुन्दर प्रस्तुति |
बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.सादर नमन ।।
जवाब देंहटाएंतेरी झुल्फ जब लहरा गयीं , काली घटायें छा गयीं
जवाब देंहटाएंहर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है,,,
बहुत उम्दा गजल ,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
shaandar ghazal.
जवाब देंहटाएंगजल बहुत अच्छी बनी है सक्सेना जी |पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ |
जवाब देंहटाएंआशा