आज नरक चतुदर्शी है ,नरक चतुदर्शी ,को रूप चतुदर्शी या यम चतुदर्शी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मुख्यतः भगवान यमराज को समर्पित है।
भारत में यमराज के मुख्यता तीन मंदिर हैं
1. यमराज मंदिर (भरमौर, हिमाचल प्रदेश)
यम देवता को समर्पित यह मंदिर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नामक
जगह पर है। ये जगह दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर देखने में
एक घर की तरह दिखाई देता है। इस मंदिर में एक खाली कमरा भी है, जिसे
चित्रगुप्त का कमरा कहा जाता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि जब किसी
वयक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के दूत उसकी आत्मा पकड़कर सबसे पहले इस
मंदिर में चित्रगुप्त के सामने लेकर जाते हैं।
चित्रगुप्त आत्मा को उनके कर्मों का पूरा ब्योरा देते हैं। इसके बाद आत्मा को यमराज की कचहरी में लाया जाता है।
यहां यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। यह भी मान्यता है इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं। यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क ले जाते हैं।
चित्रगुप्त आत्मा को उनके कर्मों का पूरा ब्योरा देते हैं। इसके बाद आत्मा को यमराज की कचहरी में लाया जाता है।
यहां यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। यह भी मान्यता है इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं। यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क ले जाते हैं।
2. श्री यमुनाजी-यमराज, भाई-बहन का मंदिर (विश्राम घाट, मथुरा)
यमुनाजी और धर्मराज को समर्पित यह मंदिर मथुरा में यमुना नदी के
विश्राम घाट पर है। इस मंदिर को बहन-भाई के मंदिर के नाम से भी जाना जाता
है। क्योंकि यमुना और यमराज भगवान सूर्य की संतानें हैं। इस मंदिर में
यमुना और धर्मराज की मूर्तियां एक साथ लगी हुई हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है
कि जो भी भाई, भाई दूज के दिन यमुना में स्नान करके इस मंदिर में दर्शन
करता है, उसे यमलोक नहीं जाना पड़ता।
3. धर्मराज मंदिर (लक्ष्मण झूला, ऋषिकेश)
ऋषिकेश में भी भगवान यमराज का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है। मंदिर के
मुख्य भाग में भगवान यमराज की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के गर्भगृह में
भगवान यमराज के आस-पास कुछ मूर्तियां है, जिन्हें यमदूतों की मूर्तियां
मानी जाती है। यमराज के बाईं ओर एक मूर्ति स्थापित है, जो चित्रगुप्त
महाराज की मूर्ति है। यहां स्थापित मूर्ति में भगवान यमराज कुछ लिखने की
मुद्रा में विराजित हैं।
आज नरक चतुदर्शी है
मदन मोहन सक्सेना
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