बुधवार, 26 सितंबर 2012

ज़ज्बात


























जिन्हें है फ़िक्र घर भर की चिंता है ज़माने की 
मिले कोई जहाँ पर भी बयां ज़ज्बात होते  हैं  ..

ये उनमें से नहीं है जो राज ए दिल दफ़न कर   लें 
गर अपने पर ये आ जाये तो चर्चा ए बात होते हैं 

बयाँ जज्बात करने को अगर कोई नहीं मिलता 
तन्हाई के आलम में तब दिन को रात होते हैं 



प्रस्तुति:  
मदन  मोहन सक्सेना  

2 टिप्‍पणियां: