कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ..
इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ
जिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
आखो से मय पीने लगे मानो की मयखाना हुआ
इस कदर अन्जान हैं हम आज अपने हाल से
हमसे मिलकरके बोला आइना ये शख्श बेगाना हुआ
ढल नहीं जाते हैं लब्ज यूँ ही रचना में कभी
कभी ग़ज़ल उनसे मिल गयी कभी गीत का पाना हुआ
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
लाजवाब अभिव्यक्ति | बहुत सुन्दर | आभार
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कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
जवाब देंहटाएंचार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ..
वाह!!!बहुत सुंदर प्यारी गजल ,,,
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बढ़िया !
जवाब देंहटाएंजिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
जवाब देंहटाएंआखो से मय पीने लगे मानो की मयखाना हुआ
वाह,क्या पंक्तियाँ हैं,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
behatareen gazal
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंइस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
जवाब देंहटाएंअब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ
बहुत ही सुन्दर