सजा क्या खूब मिलती है , किसी से दिल लगाने की
तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की
हर पल याद रहती है , निगाहों में बसी सूरत
तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की
उम्मीदों का काजल जब से आँखों में लगाया है
कोशिश पूरी रहती है , पत्थर से प्यार पाने की
अरमानो के मेले में जब ख्बाबो के महल टूटे
बारी तब फिर आती है , अपनों को आजमाने की
मर्जे इश्क में अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
जीने पर हुआ करती है ख्वाहिश मौत पाने की
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
वाह वाह !!! बहुत सुंदर नयाब गजल ,,,बधाई मदन जी...
जवाब देंहटाएंRECENT POST: नूतनता और उर्वरा,
बहुत उम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और उत्कृष्ट ग़ज़ल की रचना,आभार.
जवाब देंहटाएंउम्मीदों का काजल जब से आँखों में लगाया है
जवाब देंहटाएंकोशिश पूरी रहती है , पत्थर से प्यार पाने की-----
प्यार की सकारात्मक सोच
वाह बहुत खूब
बधाई
सजा क्या खूब मिलती है ,किसी से दिल लगाने की
जवाब देंहटाएंसिर्फ और सिर्फ शामो सहर की तन्हाई है ...ye meri panktiyaan hain ..aapki pahli pankti me joda hai