कविता ,आलेख और मैं
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सोमवार, 27 अगस्त 2012
करिश्मा कुदरत का
कुदरत का करिश्मा गर नहीं तो और फिर क्या है
कहीं पानी के लाले है कहीं पानी ही पानी है करिश्मा
किसी के पास खाने को मगर बह खा नहीं सकता
इन्सां की बिबश्ता की अजब देखो कहानी है बिबश्ता
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
1 टिप्पणी:
prritiy----sneh
28 अगस्त 2012 को 12:23 am बजे
nice lines
best wishes
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nice lines
जवाब देंहटाएंbest wishes