जिसे जब भी मिला मौका किसी भी दल का होने दो
तिजोरी अपनी भर ली है ,वतन को यार लूटा है ..
कोई तो खा गया चारा , कोयला खा गया कोई
भरोसा हुक्मरानों से नहीं ऐसे ही टूटा है ..
धन है सम्पदा यहाँ है कमी इस देश में क्या है
नियत की खोट कि खातिर मुकद्दर आज रूठा है
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
देश की लूट को रोकने का समय आ गया है .. जागने का समय आ गया है ...
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