गुरुवार, 23 अगस्त 2012

भरोसा

 




जिसे जब भी  मिला मौका किसी भी दल का होने दो 
तिजोरी अपनी भर ली है ,वतन को यार लूटा है ..

कोई तो खा गया चारा , कोयला खा गया कोई 
भरोसा हुक्मरानों से नहीं ऐसे ही टूटा है ..

धन है सम्पदा यहाँ है कमी इस देश में क्या है 
नियत की खोट कि खातिर मुकद्दर आज रूठा है 


प्रस्तुति: 
मदन मोहन सक्सेना  




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