मंगलवार, 12 मार्च 2013

रहमत



















रहमत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता..
खुशिया रहती दामन में और जीवन में अमन होता.

मर्जी बिन खुदा यारो तो   जर्रा हिल नहीं सकता 
खुदा जो रूठ जाये तो मय्यसर न कफ़न होता...

मन्नत पूरी करना है खुदा की बंदगी कर लो 
जियो और जीने दो खुशहाल जिंदगी कर लो 

मर्जी जब खुदा की हो तो पूरे अपने सपने हों
रहमत जब खुदा की हो तो बेगाने भी अपने हों 




प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,खुदा सबकी मन्नत पूरी करें.

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  2. खुदा की रहमत जरुरी है
    बेहतरीन .....

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  3. रहमत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता..
    खुशिया रहती दामन में और जीवन में अमन होता,,,
    बहुत उम्दा गजल,,,

    Recent post: होरी नही सुहाय,

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  4. बढ़िया प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-

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  5. खुदा आपकी कलम पर अपना रहमो करम रखे।

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