ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) ने बिल के तमाम मुद्दों पर
सहमति बना ली। सहमति से सेक्स की उम्र
18 से घटाकर 16 साल करने पर जीओएम में एकराय बन गई है . एक तरफ जब सोलह
बरष में अपने भबिष्य को निरधारित करने बाले जनप्रतिनिधि को चुनने का अधिकार
नहीं है तो बहीं सरकार ने सेक्स करने की कानूनन खुली छुट देने का मन बना
लिया है.
सहमति से सेक्स की उम्र 16 वर्ष - इस निर्णय की आखिर क्या वजह है ? क्या यह निर्णय खाप पंचायतो के दबाव में लिया गया है, या फिर वे कौन लोग है जो इस चर्चा को आगे बढ़ा रहे है ? क्या यह महिलाओ को और अधिक स्वच्छंदता प्रदान करेगा या फिर उसके अधिकारों का अतिक्रमण, ये भविष्य के गर्भ में है | क्या यह मांग समाज कि तरफ से है, क्या हमारा समाज पंगु होता जा रहा है ? क्या हमारा समाज में बेटियों को सँभालने में अक्षम साबित हों रहा है ? जिस उम्र में यानि सोलहवे साल में जब भटकने की सबसे ज्यादा सम्भावना रहती है, उस समय उसे स्वच्छंदता देना या छूट देना कहा तक सही है | चारों तरफ प्रश्नचिन्ह लगे है , क्या इन सवालों के उत्तर है ?हमे विकास की सोचने की जगह सेक्स की ज्यादा चिंता हो रही है इसके लिय भारत के नैतिक मूल्यो का हास हो रहा है . सरकार एक नया कानून बनाने जा रही है जिसमे अन्य बातो के अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण विषय यह है की सहमति से सेक्स की उम्र १८ से १६ वर्ष की जाए. मेरा ऐसा मानना है की १६ से १८ वर्ष तक युवक युवतिया यौवन की दहलीज पर होते है और इस दौरान वे अध्ययन कर रहे होते है क्या १६ वर्ष में सम्भोग की सहमति देकर सरकार उन्हें अध्ययन जैसे महत्वपूर्ण विषय से दूर नहीं कर रही है. मेरे विचार से इस कानून में से यह बात हटाई जानी चाहिए. कानून महिलाओं,लडकियों की सुरक्षा के लिए बनाए जाने चाहिए न की सेक्स को बढ़ावा देने के लिए , इस कानून का विरोध होना चाहिए,सेक्स की उम्र् ज़ो 18 से 16 किया गयाहै जो गलत है क्यूँकि लड़किया तो 16 साल मे 10 वी की परीछा देतीं है उस समय से यदि वो सेक्स शुरू कर देंगी तो आगे चलकर परेशानी होगी . लोग क्यों देश के लिए ऐसा कानून बना रहे हैं जहाँ एक तरफ बाल विवाह रोकेने के लिये कह रहे हैं दूसरी तरफ सेक्स की उम्र कम करने की बात हो रही है इसका गलत इस्तेमाल होगा .पहले ही लड़कियों क़ी आज़ादी के नाम पर बहुत कुछ देखने को मिल चूका है . लगता है की सरकार हमसे कह रही हो कि 12 साल की उमर में गुटखा खा लो | 13 की उमर सिगरेट पी लो | 14 की उमर में चरस चाट लो | 15 की उम्र में इश्क लड़ा लो | 16 की उम्र में सेक्स कर लो | 17 की उम्र में एड्स के सफल मरीज घोषित हो जाओ | और जिन्दा रहने तक सरकार की तरफ से "राष्ट्रीय एड्स फैलाओ योजना" के तहत 500 रूपये का मासिक "एड्स भत्ता" घर बैठे पाओ |आलोचक कुछ भी कहें सरकार का यह कदम ऐतिहासिक और मील का पत्थर साबित होने जा रहा है | महिला की सुरक्षा के लिये कदम उठना जरूरी है मगर इसके दुरुपयोग का परिणाम भी ध्यान मे रखा जाना चाहिये| कुछ लोग मानतें है कि हमारे समाज पर इसका कोई बहुत ज्यादा असर नही होगा. कोई भी कानून को देख कर सेक्स नही करता. हमारे समाज की जड़े अभी भी काफी हद तक मजबूत है. दूसरी तरफ़ हमे पश्चिमी सभ्यता का परिणाम तो हमे भुगतना ही पड़ेगा. हम वो करते है जो हम देखते है और उसी को जंहा तक संभव हो अपनाने की कोशिश करते है. समाज मे लड़के लड़कियां सब पढ़े लिखे है सर्विस करते है अकेले रहते है . हमे मानसिक रूप से आनेवाले बदलाव के लिये तैयार रहना चाहियें . जिस प्रकार से भारतीय फिल्मों ने सेक्स को जमकर परोसा है . महेश भट्ट ,एकता कपूर ,मलिक्का ,सनी लिओनी सेक्स के ब्रांड अम्बेसडर बन कर उभरें है और समाज ने जिस तरह से हाथों हाथ लिया है और अब सरकार भी उसी पथ पर अग्रसर है ऐसा लगता है. जिस तरह से पिछले 10 वर्षों में लड़के लड़कियों में पाश्चात्य संस्कृति का असर हुआ। टेक्नालोजी ने सेक्स का जमकर प्रचार प्रसार किया है। जिस तरह से सेक्स के प्रति खुलापन आया है।
रेप की परिभाषा को बदलना होगा। सेक्स को रेप से ना जोड़ा जाए नहीं तो लड़को की जिंदगी हराम हो जाएगी क्योंकि फिर कोई भी लड़की कुछ भी इल्जाम लगा सकती है।इस सेक्स की उम्र कम करने से क्या होगा मर्जी से सेक्स होगा फिर कोई भी नाराज होगा ओर आपस में कहा सुनी होगी तो रेपकेस दायर, वाह रे सरकार मे बैठे दुश्चरित्र बुद्धिजीवी लोगों को किस ओर ले जा रहे हो तुम समाज को इसका तुम्हे अंदाजा नही है बहुत जल्दी अंदाजा हो जायेगा बन जाने दो कानून 90% रेप ओर 90 % छेडखानी के केस दर्ज होंगे क्या इन सबसे निपटने के लिए सरकार के पास पुलिस ओर अदालत हैं . कहा जायेगा समाज इन समाज के ठेकेदारों को खबर ही नही है देश को अराजकता ओर दुराचार के जंजाल मे फसाया जा रहा है ताकि देश ओर देश का युवा सेक्स नशे के जाल मे खोया रहे ओर इस तरह् की खबरों मे उलझा रहे ओर सरकारे देश को लुटती रहे कोई युवा खड़ा होकर सरकार के खिलाफ आवाज ना उठाये ,विदेशी संस्कृति का देश मे प्रवेश ,देश को विनाश ओर राजनेताओ को सत्ता के अहम् मे चूर रहेगा ओर देश की युवा पीड़ी शराब ओर सेक्स के जाल फंस कर बर्बाद हो जायेगी यह होगा 10 साल बाद का इंडिया, यह सब सरकार की सोची समझी साजिश है देश को दूराचार के जाल मे धकेलने की,यह विदेशी कम्पनियों के हित साधने के लिये , अत्यंत मूर्खतापूर्ण फैसला लिया गया है वह भी बिना इस फैसले के इमप्लिकेशन्स को जाने बिना. देश में टीनेज प्रेगनेंसी की समस्या हो जायेगी , यौन रोगों की बाढ़ आ जायेगी और विदेशी दवा कम्पनियाँ , झोलाछाप डाक्टर्स और डाइयग्नॉस्टिक सेंटर्स जम कर कमाई करेंगे , जो उम्र पढने लिखने और खेलने कूदने की होती है उस उम्र में युवा पल दो पल की खुशियों के लिये अपनी जिंदगी खराब कर लेंगे.
सहमती से सेक्स की उम्र 16 वर्ष - इस निर्णय की आखिर क्या वजह है ? क्या यह निर्णय खाप पंचायतो के दबाव में लिया गया है, या फिर वे कौन लोग है जो इस चर्चा को आगे बढ़ा रहे है ? क्या यह महिलाओ को और अधिक स्वच्छंदता प्रदान करेगा या फिर उसके अधिकारों का अतिक्रमण, ये भविष्य के गर्भ में है | क्या यह मांग समाज कि तरफ से है, क्या हमारा समाज पंगु होता जा रहा है ? क्या हमारा समाज में बेटियों को सँभालने में अक्षम साबित हों रहा है ? जिस उम्र में यानि सोलहवे साल में जब भटकने की सबसे ज्यादा सम्भावना रहती है, उस समय उसे स्वच्छंदता देना या छूट देना कहा तक सही है | चारों तरफ प्रश्नचिन्ह लगे है , क्या इन सवालों के उत्तर है ?
मदन मोहन सक्सेना
सहमति से सेक्स की उम्र 16 वर्ष - इस निर्णय की आखिर क्या वजह है ? क्या यह निर्णय खाप पंचायतो के दबाव में लिया गया है, या फिर वे कौन लोग है जो इस चर्चा को आगे बढ़ा रहे है ? क्या यह महिलाओ को और अधिक स्वच्छंदता प्रदान करेगा या फिर उसके अधिकारों का अतिक्रमण, ये भविष्य के गर्भ में है | क्या यह मांग समाज कि तरफ से है, क्या हमारा समाज पंगु होता जा रहा है ? क्या हमारा समाज में बेटियों को सँभालने में अक्षम साबित हों रहा है ? जिस उम्र में यानि सोलहवे साल में जब भटकने की सबसे ज्यादा सम्भावना रहती है, उस समय उसे स्वच्छंदता देना या छूट देना कहा तक सही है | चारों तरफ प्रश्नचिन्ह लगे है , क्या इन सवालों के उत्तर है ?हमे विकास की सोचने की जगह सेक्स की ज्यादा चिंता हो रही है इसके लिय भारत के नैतिक मूल्यो का हास हो रहा है . सरकार एक नया कानून बनाने जा रही है जिसमे अन्य बातो के अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण विषय यह है की सहमति से सेक्स की उम्र १८ से १६ वर्ष की जाए. मेरा ऐसा मानना है की १६ से १८ वर्ष तक युवक युवतिया यौवन की दहलीज पर होते है और इस दौरान वे अध्ययन कर रहे होते है क्या १६ वर्ष में सम्भोग की सहमति देकर सरकार उन्हें अध्ययन जैसे महत्वपूर्ण विषय से दूर नहीं कर रही है. मेरे विचार से इस कानून में से यह बात हटाई जानी चाहिए. कानून महिलाओं,लडकियों की सुरक्षा के लिए बनाए जाने चाहिए न की सेक्स को बढ़ावा देने के लिए , इस कानून का विरोध होना चाहिए,सेक्स की उम्र् ज़ो 18 से 16 किया गयाहै जो गलत है क्यूँकि लड़किया तो 16 साल मे 10 वी की परीछा देतीं है उस समय से यदि वो सेक्स शुरू कर देंगी तो आगे चलकर परेशानी होगी . लोग क्यों देश के लिए ऐसा कानून बना रहे हैं जहाँ एक तरफ बाल विवाह रोकेने के लिये कह रहे हैं दूसरी तरफ सेक्स की उम्र कम करने की बात हो रही है इसका गलत इस्तेमाल होगा .पहले ही लड़कियों क़ी आज़ादी के नाम पर बहुत कुछ देखने को मिल चूका है . लगता है की सरकार हमसे कह रही हो कि 12 साल की उमर में गुटखा खा लो | 13 की उमर सिगरेट पी लो | 14 की उमर में चरस चाट लो | 15 की उम्र में इश्क लड़ा लो | 16 की उम्र में सेक्स कर लो | 17 की उम्र में एड्स के सफल मरीज घोषित हो जाओ | और जिन्दा रहने तक सरकार की तरफ से "राष्ट्रीय एड्स फैलाओ योजना" के तहत 500 रूपये का मासिक "एड्स भत्ता" घर बैठे पाओ |आलोचक कुछ भी कहें सरकार का यह कदम ऐतिहासिक और मील का पत्थर साबित होने जा रहा है | महिला की सुरक्षा के लिये कदम उठना जरूरी है मगर इसके दुरुपयोग का परिणाम भी ध्यान मे रखा जाना चाहिये| कुछ लोग मानतें है कि हमारे समाज पर इसका कोई बहुत ज्यादा असर नही होगा. कोई भी कानून को देख कर सेक्स नही करता. हमारे समाज की जड़े अभी भी काफी हद तक मजबूत है. दूसरी तरफ़ हमे पश्चिमी सभ्यता का परिणाम तो हमे भुगतना ही पड़ेगा. हम वो करते है जो हम देखते है और उसी को जंहा तक संभव हो अपनाने की कोशिश करते है. समाज मे लड़के लड़कियां सब पढ़े लिखे है सर्विस करते है अकेले रहते है . हमे मानसिक रूप से आनेवाले बदलाव के लिये तैयार रहना चाहियें . जिस प्रकार से भारतीय फिल्मों ने सेक्स को जमकर परोसा है . महेश भट्ट ,एकता कपूर ,मलिक्का ,सनी लिओनी सेक्स के ब्रांड अम्बेसडर बन कर उभरें है और समाज ने जिस तरह से हाथों हाथ लिया है और अब सरकार भी उसी पथ पर अग्रसर है ऐसा लगता है. जिस तरह से पिछले 10 वर्षों में लड़के लड़कियों में पाश्चात्य संस्कृति का असर हुआ। टेक्नालोजी ने सेक्स का जमकर प्रचार प्रसार किया है। जिस तरह से सेक्स के प्रति खुलापन आया है।
रेप की परिभाषा को बदलना होगा। सेक्स को रेप से ना जोड़ा जाए नहीं तो लड़को की जिंदगी हराम हो जाएगी क्योंकि फिर कोई भी लड़की कुछ भी इल्जाम लगा सकती है।इस सेक्स की उम्र कम करने से क्या होगा मर्जी से सेक्स होगा फिर कोई भी नाराज होगा ओर आपस में कहा सुनी होगी तो रेपकेस दायर, वाह रे सरकार मे बैठे दुश्चरित्र बुद्धिजीवी लोगों को किस ओर ले जा रहे हो तुम समाज को इसका तुम्हे अंदाजा नही है बहुत जल्दी अंदाजा हो जायेगा बन जाने दो कानून 90% रेप ओर 90 % छेडखानी के केस दर्ज होंगे क्या इन सबसे निपटने के लिए सरकार के पास पुलिस ओर अदालत हैं . कहा जायेगा समाज इन समाज के ठेकेदारों को खबर ही नही है देश को अराजकता ओर दुराचार के जंजाल मे फसाया जा रहा है ताकि देश ओर देश का युवा सेक्स नशे के जाल मे खोया रहे ओर इस तरह् की खबरों मे उलझा रहे ओर सरकारे देश को लुटती रहे कोई युवा खड़ा होकर सरकार के खिलाफ आवाज ना उठाये ,विदेशी संस्कृति का देश मे प्रवेश ,देश को विनाश ओर राजनेताओ को सत्ता के अहम् मे चूर रहेगा ओर देश की युवा पीड़ी शराब ओर सेक्स के जाल फंस कर बर्बाद हो जायेगी यह होगा 10 साल बाद का इंडिया, यह सब सरकार की सोची समझी साजिश है देश को दूराचार के जाल मे धकेलने की,यह विदेशी कम्पनियों के हित साधने के लिये , अत्यंत मूर्खतापूर्ण फैसला लिया गया है वह भी बिना इस फैसले के इमप्लिकेशन्स को जाने बिना. देश में टीनेज प्रेगनेंसी की समस्या हो जायेगी , यौन रोगों की बाढ़ आ जायेगी और विदेशी दवा कम्पनियाँ , झोलाछाप डाक्टर्स और डाइयग्नॉस्टिक सेंटर्स जम कर कमाई करेंगे , जो उम्र पढने लिखने और खेलने कूदने की होती है उस उम्र में युवा पल दो पल की खुशियों के लिये अपनी जिंदगी खराब कर लेंगे.
सहमती से सेक्स की उम्र 16 वर्ष - इस निर्णय की आखिर क्या वजह है ? क्या यह निर्णय खाप पंचायतो के दबाव में लिया गया है, या फिर वे कौन लोग है जो इस चर्चा को आगे बढ़ा रहे है ? क्या यह महिलाओ को और अधिक स्वच्छंदता प्रदान करेगा या फिर उसके अधिकारों का अतिक्रमण, ये भविष्य के गर्भ में है | क्या यह मांग समाज कि तरफ से है, क्या हमारा समाज पंगु होता जा रहा है ? क्या हमारा समाज में बेटियों को सँभालने में अक्षम साबित हों रहा है ? जिस उम्र में यानि सोलहवे साल में जब भटकने की सबसे ज्यादा सम्भावना रहती है, उस समय उसे स्वच्छंदता देना या छूट देना कहा तक सही है | चारों तरफ प्रश्नचिन्ह लगे है , क्या इन सवालों के उत्तर है ?
मदन मोहन सक्सेना
सरकार की सोच में ही खोट है -
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति -
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .असल बात यह है भाई साहब १ ६ बरस की उम्र तक लड़की (वास्तव में किशोरी )का पूर्ण शारीरिक विकास भी नहीं हो पाता है .क्या हम भारत को अविवाहित किशोरी माताओं की राजधानी बना चाहते हैं जबकि किशोरियां आज जल्दी बड़ी दिखने लगती हैं .माहवारी शुरू होने की उम्र कम हो रही है वक्ष स्थल जल्दी विकसित होने लगा है .
देश की संस्कृति पर कुठाराघात...............
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