रविवार, 17 मार्च 2013

तुम्हारी याद
























आप के लिए "तुम्हारी याद "
प्रस्तुति : श्री मदन मोहन सक्सेना

तुम्हारी याद जब आती तो मिल जाती ख़ुशी हमको
तुमको पास पायेंगे तो मेरा हाल क्या होगा

तुमसे दूर रह करके तुम्हारी याद आती है
मेरे पास तुम होगें तो यादों का फिर क्या होगा

तुम्हारी मोहनी सूरत तो हर पल आँख में रहती
दिल में जो बसी सूरत उस सूरत का फिर क्या होगा

अपनी हर ख़ुशी हमको अकेली ही लगा करती
तुम्हार साथ जब होगा नजारा ही नया होगा

दिल में जो बसी सूरत सजायेंगे उसे हम यूँ
तुमने उस तरीके से संभारा भी नहीं होगा


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुतीकरण,आभार.

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  2. सुंदर और सार्थक रचना महोदय......
    साभार..........



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  3. great post .... very nice !!!!!

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