हे भारत बासी मनन करो क्या खोया है क्या पाया है
गाँधी सुभाष टैगोर तिलक ने जैसा भारत सोचा था
भूख गरीबी न हो जिसमें , क्या ऐसा भारत पाया है
क्यों घोटाले ही घोटाले हैं और जाँच चलती रहती
पब्लिक भूखी प्यासी रहती सब घोटालों की माया है
अनाज भरा गोदामों में और सड़ने को मजबूर हुआ
लानत है ऐसी नीति पर जो भूख मिटा न पाया है
अब भारत माता लज्जित है अपनों की इन करतूतों पर
बंसल ,नबीन ,राजा को क्यों जनता ने अपनाया है।
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
bhot sundar rachna hai janab waaaaah betrin jitni tarif kare utna kam hai
जवाब देंहटाएंमन के भावों को बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति ,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जिन्दगी,