तत्सम पत्रिका में प्रकाशित मेरी कुछ क्षणिकाएँ .
एक :
संबिधान है
न्यायालय है
मानब अधिकार आयोग है
लोकतांत्रिक सरकार है
साथ ही
आधी से अधिक जनता
अशिक्षित ,निर्धन और लाचार है .
दो:
कृषि प्रधान देश है
भारत भी नाम है
भूमि है ,कृषि है, कृषक हैं
अनाज के गोदाम हैं
साथ ही
भुखमरी, कुपोषण में भी बदनाम है .
तीन:
खेल है
खेल संगठन हैं
खेल मंत्री है
खेल पुरस्कार हैं
साथ ही
खेलों के महाकुम्भ में
पदकों की लालसा में
सौ करोड़ का भारत भी देश है .
मदन मोहन सक्सेना .
बहुत सुंदर भावपूर्ण क्षणिकाए ,पत्रिका में छपने के लिए बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंRECENT POST ....: नीयत बदल गई.
मुबारक भाई साहब .ॐ शान्ति
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