नजर फ़ेर ली है खफ़ा हो गया हूँ
बिछुड़ कर किसी से जुदा हो गया हूँ
मैं किससे करूँ बेबफाई का शिकबा
कि खुद रूठकर बेबफ़ा हो गया हूँ
बहुत उसने चाहा बहुत उसने पूजा
मुहब्बत का मैं देवता हो गया हूँ
बसायी थी जिसने दिलों में मुहब्बत
उसी के लिए क्यों बुरा हो गया हूँ
मेरा नाम अब क्यों तेरे लब पर भी आये
अब मैं अपना नहीं दूसरा हो गया हूँ
मदन सुनाऊँ किसे अब किस्सा ए गम
मुहब्बत में मिटकर फना हो गया हूँ .
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
बढ़िया -
जवाब देंहटाएंसादर नमन--
आभार-
मैं किससे करूँ बेबफाई का शिकबा
जवाब देंहटाएंकि खुद रूठकर बेबफ़ा हो गया हूँ
बहुत खूब ..
बहुत उसने चाहा बहुत उसने पूजा
जवाब देंहटाएंमुहब्बत का मैं देवता हो गया हूँ ..
बहुत सुन्दर शेर है ... प्रेम में जो न हो वो कम है ...
मुहब्बत का दूसरा नाम दर्द है
जवाब देंहटाएंबहुत उसने चाहा बहुत उसने पूजा
जवाब देंहटाएंमुहब्बत का मैं देवता हो गया हूँ ..
बढ़िया ग़ज़ल
मैं किससे करूँ बेबफाई का शिकबा
जवाब देंहटाएंकि खुद रूठकर बेबफ़ा हो गया हूँ
सुंदर गज़ल ।