सोमवार, 22 जुलाई 2013

शिकबा

 

















नजर फ़ेर ली है खफ़ा हो गया हूँ
बिछुड़ कर किसी से जुदा हो गया हूँ

मैं किससे करूँ बेबफाई का शिकबा 
कि खुद रूठकर बेबफ़ा हो गया हूँ 

बहुत उसने चाहा बहुत उसने पूजा 
मुहब्बत का मैं देवता हो गया हूँ 

बसायी थी जिसने दिलों में मुहब्बत
उसी के लिए क्यों बुरा हो गया हूँ 

मेरा नाम अब क्यों तेरे लब पर भी आये
अब मैं अपना नहीं दूसरा हो गया हूँ 

मदन सुनाऊँ किसे अब किस्सा ए गम 
मुहब्बत में मिटकर फना हो गया हूँ . 



प्रस्तुति:

मदन मोहन सक्सेना

6 टिप्‍पणियां:

  1. मैं किससे करूँ बेबफाई का शिकबा
    कि खुद रूठकर बेबफ़ा हो गया हूँ

    बहुत खूब ..

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  2. बहुत उसने चाहा बहुत उसने पूजा
    मुहब्बत का मैं देवता हो गया हूँ ..

    बहुत सुन्दर शेर है ... प्रेम में जो न हो वो कम है ...

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  3. मुहब्बत का दूसरा नाम दर्द है

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  4. बहुत उसने चाहा बहुत उसने पूजा
    मुहब्बत का मैं देवता हो गया हूँ ..

    बढ़िया ग़ज़ल

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  5. मैं किससे करूँ बेबफाई का शिकबा
    कि खुद रूठकर बेबफ़ा हो गया हूँ

    सुंदर गज़ल ।

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