एक और आतंकी धमाका
जगह बदली
किन्तु
तरीका नहीं बदला
बदला लेने का
एक बार फिर धमाका
मीडिया में फिर से शोर
नेताओं को घटना स्थल पहुचनें की बेकरारी
सुरक्षा एजेंसियों की एक
और जांच पड़ताल
राजनेताओं में एक और हड़कंप,
आम लोगों को अपने बजूद की चिंता
सुरक्षा एजेंसियों को अपने साख बचाने की चिंता
जगह जगह छापे
और फिर
यदि कोई सूत्र मिला भी
और आंतकी हत्थे लगा भी तो
फिर से बही क़ानूनी पेचीदगियाँ
फिर से
कोर्ट दर कोर्ट का सफ़र
और यदि सजा हो भी गयी
फिर से रहम की गुजारिश
फिर से दलगत और प्रान्त की राजनीति
और
फिर से
बही पुनराब्रती
सच में कितना अजीब लगता है
जब आंतकी
और मानब अधिकारबादी
मौत की सजा माफ़ करने की बात करतें है
उनके लिए (आंतकी )
जिसने मानब को कभी मानब समझा ही नहीं .
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
सत्य से साक्षात्कार करवाती रचना ,यही सब तो चल रहा है ,अपने-
जवाब देंहटाएंअपने स्वार्थ ,संवेदनहीनता चारो ओर .....!!
आपने सच कहा,
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा सटीक प्रस्तुति,,,
RECENT POST: गुजारिश,
बढ़िया प्रस्तुति -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
सत्य को प्रस्तुत करती आपकी पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंआतंक और आतंकी दोनों मजाक उड़ाते हैं हमारी सुरक्षा और न्याय व्यवस्था का
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक लेखन
आज राक्षसी,अपने बच्चे,छिपा रही,मानवी नज़र से
जवाब देंहटाएंमानव कितना गिरा,विश्व में, क्या तेरी वन्दना करूँ !