शुक्रवार, 22 मार्च 2013

होली है



















ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज 
यारों कब मिले मौका  अब  छोड़ों ना कि होली है. 

मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है 
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है 

क्या जीजा हों कि साली हो ,देवर हो या भाभी हो 
दिखे रंगनें में रंगानें में ,सभी मशगूल होली है 

ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे 
गले अब मिल भी जाओं सब, कि आयी  आज होली है   

तन से तन मिला लो अब मन से मन भी मिल जाये  
प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है 

प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं 
हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है . 



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 






9 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद सुन्दर रचना | होली के नए रंगों से सराबोर करती आपकी रचना बहुत उम्दा | आभार |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर रचना !!
    होली कि अग्रिम शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  3. bahut sundar rachana, Holi ki dhersaari mubarakbaad aap sabhi ko!

    जवाब देंहटाएं
  4. क्या जीजा हों कि साली हो ,देवर हो या भाभी हो
    दिखे रंगनें में रंगानें में ,सभी मशगूल होली है


    बहुत खूब सक्सेना जी,मना लो होली,त्यौहार भी आगया है,,,

    RecentPOST: रंगों के दोहे ,

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर रचना बहुत खूब मदन मोहन जी

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर होली है।
    हालांकि आप किसी प्रश्न का उत्तर देना तो उचित नहीं समझते क्योंकि आपका कद हम लोगों से काफी ऊंचा है फिर भी उत्सुकतावश पूछ ही लेता हूं कि आपने यह रचना किस विधा में लिखी है?

    जवाब देंहटाएं
  7. होली के रंगों से सराबोर करती सुन्दर रचना.

    जवाब देंहटाएं
  8. रंगों के मौसम में रंग भरी रचना, बधाई.

    जवाब देंहटाएं