खुशबुओं की बस्ती में रहता प्यार मेरा है
आज प्यारे प्यारे सपनो ने आकर के मुझको घेरा है
उनकी सूरत का आँखों में हर पल हुआ यूँ बसेरा है
अब काली काली रातो में मुझको दीखता नहीं अँधेरा है
जब जब देखा हमने दिल को ,ये लगता नहीं मेरा है
प्यार पाया जब से उनका हमने ,लगता हर पल ही सुनहरा है
प्यार तो है सबसे परे ,ना उसका कोई चेहरा है
रहमते खुदा की जिस पर सर उसके बंधे सेहरा है
प्यार ने तो जीबन में ,हर पल खुशियों को बिखेरा है
ना जाने ये मदन ,फिर क्यों लगे प्यार पे पहरा है
काब्य प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
बहुत सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : प्यार न भूले,,,
प्यार ने तो जीबन में ,हर पल खुशियों को बिखेरा है
जवाब देंहटाएंना जाने ये मदन ,फिर क्यों लगे प्यार पे पहरा है
wah kya kahane ......gajab .badhai saxena ji
सराहनीय प्रस्तुति।
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जवाब देंहटाएंदिनांक 06/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
Bahut khub...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति मदन मोहन जी ,
जवाब देंहटाएंसाभार........
प्यार की सुन्दर अभिव्यक्ति
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