जिनके साथ रहना हैं नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।
दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।
किसी के खो गए अपने किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।
उम्र बीती और ढोया है सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का खेल जिंदगी।
किसी को मिल गयी दौलत कोई तो पा गया शोहरत
मदन कहता कि काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।
दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।
किसी के खो गए अपने किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।
उम्र बीती और ढोया है सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का खेल जिंदगी।
किसी को मिल गयी दौलत कोई तो पा गया शोहरत
मदन कहता कि काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
वाह..........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता..
बधाई.
किसी को मिल गयी दौलत कोई तो पा गया शोहरत
जवाब देंहटाएंमदन कहता कि काटने और बोने का ये खेल जिंदगी,,,,
वाह ,,, बहुत उम्दा,
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
काटने और बोने का ये खेल जिंदगी...खूब कही...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....
जवाब देंहटाएंwah!
जवाब देंहटाएंmanav prakrati hee hai kabhee apnee sthiti se santusht naa hone kee.