मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है
किसी के पास सब कुछ है मगर बह खा नहीं पाये
तेरी दुनियां में कुछ बंदें, करते काम क्यों गंदें
कि किसी के पास कुछ भी ना, भूखे पेट सो जाये
जो सीधे सादे रहतें हैं मुश्किल में क्यों रहतें है
तेरी बातोँ को तू जाने, समझ अपनी ना कुछ आये
ना रिश्तों की महक दिखती ना बातोँ में ही दम दीखता
क्यों मायूसी ही मायूसी जिधर देखो नज़र आये
तुझे पाने की कोशिश में कहाँ कहाँ मैं नहीं घूमा
जब रोता बच्चा मुस्कराता है तू ही तू नजर आये
गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
ये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
जो सीधे सादे रहतें हैं मुश्किल में क्यों रहतें है
तेरी बातोँ को तू जाने, समझ अपनी ना कुछ आये
ना रिश्तों की महक दिखती ना बातोँ में ही दम दीखता
क्यों मायूसी ही मायूसी जिधर देखो नज़र आये
तुझे पाने की कोशिश में कहाँ कहाँ मैं नहीं घूमा
जब रोता बच्चा मुस्कराता है तू ही तू नजर आये
गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
ये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
जवाब देंहटाएंये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये,,,
बहुत बढिया उम्दा सृजन,,,, बधाई।
recent post हमको रखवालो ने लूटा
गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
जवाब देंहटाएंये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये
सच यही है कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं फिर किस चीज़ का इन्तेज़ार अच्छे काम करने के लिये. सुंदर नज़्म, सुंदर सन्देश.
तुझे पाने की कोशिश में कहां कहां मैं नहीं घूमा
जब रोता बच्चा मुस्कराता है तू ही तू नजर आये …
वाह ! वाऽह !
मदन मोहन सक्सेना जी
अच्छी रचना !
शुभकामनाओं सहित…
behad khoobsurat! Keep writing!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा
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