गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

मेरे मालिक मेरे मौला

















मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है
किसी के पास सब कुछ है मगर बह खा नहीं पाये

तेरी दुनियां में कुछ बंदें, करते काम क्यों गंदें

कि किसी के पास कुछ भी ना, भूखे पेट सो जाये

जो सीधे सादे रहतें हैं मुश्किल में क्यों रहतें है
तेरी बातोँ को तू जाने, समझ अपनी ना कुछ आये

ना रिश्तों की महक दिखती ना बातोँ में ही दम दीखता
क्यों मायूसी ही मायूसी जिधर देखो नज़र आये

तुझे पाने की कोशिश में कहाँ कहाँ मैं नहीं घूमा
जब रोता बच्चा मुस्कराता है तू ही तू नजर आये

गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
ये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

5 टिप्‍पणियां:

  1. गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
    ये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये,,,

    बहुत बढिया उम्दा सृजन,,,, बधाई।

    recent post हमको रखवालो ने लूटा

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  2. गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
    ये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये

    सच यही है कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं फिर किस चीज़ का इन्तेज़ार अच्छे काम करने के लिये. सुंदर नज़्म, सुंदर सन्देश.

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  3. तुझे पाने की कोशिश में कहां कहां मैं नहीं घूमा
    जब रोता बच्चा मुस्कराता है तू ही तू नजर आये …

    वाह ! वाऽह !
    मदन मोहन सक्सेना जी


    अच्छी रचना !
    शुभकामनाओं सहित…

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