बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

ऐतवार






बोलेंगे  जो  भी  हमसे  बो ,हम ऐतवार कर  लेगें  
जो कुछ  भी उनको प्यारा  है ,हम उनसे प्यार कर  लेगें

बो  मेरे   पास  आयेंगे   ये  सुनकर  के   ही  सपनो  में 
क़यामत  से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें 

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है 
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें 

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बो हमको 
गर  अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पार कर लेगें

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना




मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

संगम





















 

संगम  पर लगे कुंभ की ओर सभी निगाहें जमी हुई है। 12 सालों पर लगने की वजह से ये सबके आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।पहले मॉडल पूनम पाण्डेय,  शिल्पा  शेट्टी, सुर्खियाँ बटोरने  कुम्भ गयीं और अब   राजनीतिक पार्टियां कहां इस मौके का फायदा उठाने से चूक सकती है। बीजेपी नेता पहले ही मौका भुना चुकें हैं  तो कांग्रेस भी इस मौके को नहीं चूकना चाहती हैं। इसी सबको देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी महाकुंभ में डुबकी लगाकर कांग्रेस की नैया को पार लगाने की कवायद में जुट गई है। शायद बहती गंगा में हाथ धोने का मुहाबरा इन सब लोगों की बजह से ही उपयोग में आया 


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना 

सोमवार, 28 जनवरी 2013

खेल






















जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है


कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है
भरी दुनियां में बिन तेरे नहीं कोई सहारा है


मुक्कद्दर आज रूठा है और किस्मत आजमाती है
नहीं अब चैन दिल को है न मुझको नींद आती है..


कदम बहकें हैं अब मेरे ,हुआ चलना भी मुश्किल है
ये मौसम है बहारों का , रोता आज ये दिल है


ना कोई अब खबर तेरी ,ना मिलती आज पाती है
हालत देखकर मेरी ये दुनिया मुस्कराती है


बहुत मुश्किल है ये कहना किसने खेल खेला है
उधर तन्हा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है


पाकर के तन्हा मुझको उदासी पास आती है
सुहानी रात मुझको अब नागिन सी डराती है


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

गणतंत्र दिबस













 







गणतंत्र दिबस के अबसर कबिता:

मेरा भारत महान
जय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान

गंगा यमुना सी नदियाँ हैं जो देश का मान  बढ़ाती हैं
सीता सावित्री सी देवी जो आज भी पूजी जाती हैं

यहाँ जाति धर्म का भेद नहीं सब मिलजुल करके रहतें हैं
गाँधी सुभाष टैगोर तिलक नेहरु का भारत कहतें हैं

यहाँ नाम का कोई जिक्र नहीं बस काम ही देखा जाता है
जिसने जब कोई काम किया बह ही सम्मान पाता है

जब भी कोई मिले आकर बो गले लगायें जातें हैं

जब  आन मान की बात बने तो शीश कटाए जातें हैं

आजाद भगत बिस्मिल रोशन बीरों की ये तो जननी है
प्रण पाला जिसका इन सबने बह पूरी हमको करनी है

मथुरा हो या काशी हो चाहें अजमेर हो या अमृतसर
सब जातें प्रेम भाब से हैं झुक जातें हैं सबके ही सर.
  
प्रस्तुति: 
मदन मोहन सक्सेना

सोमवार, 21 जनवरी 2013

प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है ,















 






रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सा
प्यार रा ये संसार है

प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए है सभी
प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

प्यार से अपना जीवन सभारों जरा ,प्यार से रहकर हर पल गुजारो जरा
प्यार से मंजिल पाना है मुश्किल नहीं , इन बातों से बिलकुल न इंकार है

प्यार के किस्से हमको निराले लगे ,बोलने के समय मुहँ में ताले लगे
हाल दिल का बताने जब हम मिले ,उस समय को हुयें हम लाचार हैं

प्यार से प्यारे मेरे जो दिलदार है ,जिनके दम से हँसीं मेरा संसार है
उनकी नजरो से नजरें जब जब मिलीं,उस पल को हुए उनके दीदार हैं

प्यार जीवन में खुशियाँ लुटाता रहा ,भेद आपस के हर पल मिटाता रहा
प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है ,उस कहानी का मदन एक किरदार है


मदन मोहन सक्सेना 
(सुन्दर हिंदी प्यारी हिंदी में प्रकाशित)


गुरुवार, 17 जनवरी 2013

ग़ज़ल




उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें ..

जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें  ..

जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें ..

अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
 मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी  के यार होलेंगें ..

जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना 
अँधेरे में भी डोलेंगें उजालें में भी डोलेंगें ..
 


ग़ज़ल
मदन मोहन सक्सेना

रविवार, 13 जनवरी 2013

तन्हाई (ग़ज़ल)





















हर लम्हा तन्हाई का एहसास मुझकों होता है
जबकि दोस्तों के बीच अपनी गुज़री जिंदगानी है

क्यों अपने जिस्म में केवल ,रंगत खून की दिखती
औरों का लहू बहता ,तो सबके लिए पानी है ..

खुद को भूल जाने की ग़लती सबने कर दी है
हर इन्सान की दुनिया में इक जैसी कहानी है

दौलत के नशे में जो अब दिन को रात कहतें है
हर गल्तीं की कीमत भी, यहीं उनको चुकानी है

वक़्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है नहीं
किसको जीत मिल जाये, किसको हार पानी है

सल्तनत ख्बाबो की मिल जाये तो अपने लिए बेहतर है
दौलत आज है तो क्या ,आखिर कल तो जानी है..

ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

प्यार के बोल






प्यार  रामा  में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है

प्यार पाने को  दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के  हर्षित हुए है सभी
प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है 

प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम 
प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार  है 

प्यार से अपना जीवन सभारों जरा  ,प्यार से रहकर हर पल  गुजारो जरा
प्यार से मंजिल पाना है मुश्किल नहीं , इन बातों से बिलकुल न इंकार है

प्यार के किस्से हमको निराले लगे ,बोलने के समय मुहँ में ताले  लगे
हाल दिल का बताने जब हम मिले ,उस समय को हुयें हम  लाचार हैं

प्यार से प्यारे मेरे जो दिलदार है ,जिनके दम से हँसीं मेरा संसार है
उनकी नजरो से नजरें जब जब मिलीं,उस पल को हुए उनके दीदार हैं

प्यार जीवन में खुशियाँ लुटाता रहा ,भेद आपस के हर पल मिटाता रहा 
प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है ,उस कहानी का मदन एक किरदार है


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

बुधवार, 2 जनवरी 2013

तमन्ना




सजा  क्या खूब मिलती है ,  किसी   से   दिल  लगाने  की
तन्हाई  की  महफ़िल  में  आदत  हो  गयी   गाने  की 

हर  पल  याद  रहती  है , निगाहों  में  बसी  सूरत
तमन्ना  अपनी  रहती  है  खुद  को  भूल  जाने  की 

 उम्मीदों   का  काजल    जब  से  आँखों  में  लगाया  है
कोशिश    पूरी  रहती  है , पत्थर  से  प्यार  पाने  की 

अरमानो  के  मेले  में  जब  ख्बाबो  के  महल   टूटे
बारी  तब  फिर  आती  है , अपनों  को  आजमाने  की

मर्जे  इश्क  में   अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
जीने पर हुआ करती है ख्बहिश मौत पाने की



ग़ज़ल
मदन मोहन सक्सेना






मंगलवार, 1 जनवरी 2013

दो हज़ार तेरह



दो हज़ार बारह तो आम जनता का बाज़ा बजाकर चला गया . देखतें हैं कि दो हज़ार तेरह में क्या क्या देखना होगा।

मदन मोहन सक्सेना  

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

नब बर्ष


 



नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।




मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

मुझको जो भी मिलना हो ,बह तुमको ही मिले दौलत
तमन्ना मेरे दिल की है, सदा मिलती रहे शोहरत
सदा मिलती रहे शोहरत  और रोशन नाम तेरा हो
ग़मों का न तो साया हो  निशा में ना  अँधेरा हो

नब बर्ष आज आया है , जलाओ प्रेम के दीपक
गर जलाएं  प्रेम के दीपक  तो  अँधेरा दूर हो जाए
गर रहें हम प्यार से यारों और जीएं और जीने दें
अहम् का टकराब  पल में ही यारों चूर हो जाए

मनाएं हम सलीखें  से तो रोशन ये चमन होगा
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा  ये बतन होगा
धरा अपनी ,गगन अपना, जो बासी  बो भी अपने हैं
हकीकत में बे बदलेंगें ,दिलों में जो भी सपने हैं


काब्य प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना

रविवार, 23 दिसंबर 2012

भारत और दिल्ली की जनता एक बार फिर से लाचार











 










चलती  बस में लड़की के साथ  बलात्कार 
पुलिस प्रशाशन की नाकामी और हार 
युबा और युब्तियों की हमदर्दी और न्याय के लिए प्रदर्शन 
सोनिया राहुल शिंदे शीला पुलिस कमिश्नर  का  निन्दनीय  आचरण 
हमेशा की तरह आन्दोलन को दवाने की साजिश 
पुलिस का ब्यबहार  गैरजरूरी और शरमशार 
भारत और दिल्ली की जनता एक बार फिर से लाचार .



अब करा करता है शोषण ,आजकल बीरों का पोरुष
मानकर बिधि का विधान, जुल्म हम सब सह गए हैं


नाज हमको था कभी पर आज सर झुकता शर्म से
कल तलक जो थे सुरक्षित आज सारे  ढह गए हैं 


 

मदन मोहन सक्सेना

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

ग़ज़ल




















आगमन नए दौर का आप जिसको कह रहे
बो सेक्स की रंगीनियों की पैर में जंजीर है

सुन चुके है बहुत किस्से वीरता पुरुषार्थ के
हर रोज फिर किसी द्रौपदी का खिंच रहा क्यों चीर है

खून से खेली है होली आज के इस दौर में
कह रहे सब आज ये नहीं मिल रहा अब नीर है

मौत के साये में जीती चार पल की जिन्दगी
ये ब्यथा अपनी नहीं हर एक की ये पीर है

आज के हालत में किस किस से हम बचकर चले
प्रशं लगता है सरल पर ये बहुत गंभीर है

चाँद रुपयों की बदौलत बेचकर हर चीज को
आज हम आबाज देते की बेचना जमीर है 



ग़ज़ल :
मदन मोहन सक्सेना

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

गर कोई देखना चाहें





















कैसी सोच अपनी है ,किधर हम जा रहें यारों
गर कोई देखना चाहें वतन  मेरे वो  आ जाये

तिजोरी में भरा धन है ,मुरझाया सा बचपन है
ग़रीबी  भुखमरी में क्यों  जीबन बीतता जाये

ना करने का ही ज़ज्बा है ना बातों में ही दम दीखता
हर एक दल में सत्ता की जुगलबंदी नजर आयें

कभी बाँटा  धर्म ने है ,कभी  जाति में खो जाते
क्यों हमारें रह्नुमाओं का, असर सब पर नजर आये

ना खाने को ना पीने को ,ना दो पल चैन जीने को
ये कैसा तंत्र है   यारों , ये जल्दी से गुजर जाये


प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

मेरे मालिक मेरे मौला

















मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है
किसी के पास सब कुछ है मगर बह खा नहीं पाये

तेरी दुनियां में कुछ बंदें, करते काम क्यों गंदें

कि किसी के पास कुछ भी ना, भूखे पेट सो जाये

जो सीधे सादे रहतें हैं मुश्किल में क्यों रहतें है
तेरी बातोँ को तू जाने, समझ अपनी ना कुछ आये

ना रिश्तों की महक दिखती ना बातोँ में ही दम दीखता
क्यों मायूसी ही मायूसी जिधर देखो नज़र आये

तुझे पाने की कोशिश में कहाँ कहाँ मैं नहीं घूमा
जब रोता बच्चा मुस्कराता है तू ही तू नजर आये

गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
ये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

जिंदगी

जिनके साथ रहना हैं नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।


दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।


किसी के खो गए अपने किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।


उम्र बीती और ढोया है सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का खेल जिंदगी।


किसी को मिल गयी दौलत कोई तो पा गया शोहरत
मदन कहता कि काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।



प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

रहमत






रहमत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता..
खुशिया रहती दामन में और जीवन में अमन होता.

मर्जी बिन खुदा यारो तो   जर्रा हिल नहीं सकता 
खुदा जो रूठ जाये तो मय्यसर न कफ़न होता...

मन्नत पूरी करना है खुदा की बंदगी कर लो 
जियो और जीने दो खुशहाल जिंदगी कर लो 

मर्जी जब खुदा की हो तो पूरे अपने सपने हों
रहमत जब खुदा की हो तो बेगाने भी अपने हों 




प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना